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We care about our Animal. For this reason, Mangalam aims to be operating sustainably and ethically at every level.

पशुओं में दूध कम देने की मुख्य समस्या के कारण

1. पशुओं को बारीक रातव जैसे कसार ,बासी रोटियां ,कुट्टा, गेहूं का आटा, गेहूं का दलिया बिस्कुट का चूरा,कच्ची या बासी ब्रेड आदि पशु की आंत मैं चिपक जाते हैं जिससे वह जुगाली में नहीं आ पाता वह पच नहीं पाता और आंतों से चिपक जाता है जिससे आंतों का आकार बढ़ जाता है बच्चेदानी का आकार छोटा हो जाता है जिससे पशु ज्ञावन होने में भी दिक्कत होती है पशु पूरा दूध भी नहीं दे पाता तथा मैं अफारा बदहजमी तथा अन्य रोगों से पीड़ित हो जाता है पशु बीमार हो जाता है

2. पशु के पेट में कीड़े होना भी एक मुख्य कारण है दूध कम देना पशु के ​​पेट में कीड़े होंगे तो पशु को कितना भी पौषक आहार दिया जाए दूध पर नहीं आएगा दूध कम ही देगा इसलिए समय-समय पर उसे कीड़ों की दवाई देते रहना चाहिए

3. पशुपालकों द्वारा दिया जाने वाला खाद्य पदार्थ उसे किस तरीके से खिलाया जाए न जानना भी मुख्य कारण है कुछ पशु पालक चने की चूरी को खल इत्यादि के संग ही भिगो देते हैं जिससे वह अपने सारे पोषक तत्व खो देती है इसके लिए आप कुछ ही मिनटों के लिए भिगोए भरपूर पानी में चने की चूरी को अलग बर्तन में तथा शानी करने के बाद ऊपर डाल दे

4.. पशुओं में कैल्शियम की कमी होना भी एक मुख्य कारण है हम पशु से दूध तो लेते हैं पर उसे कैल्शियम जो उसका मुख्य प्रेरक है उसकी पूर्ति नहीं कर पाते उसके लिए हमें उसको कैल्शियम लिक्विड कैल्शियम देते रहना चाहिए जिससे उसकी कैल्शियम की क्षमता पूरी हो सके उसके लिए अच्छी क्वालिटी विश्वसनीय कैल्शियम देते रहना चाहिए जिससे पशु के अंदर कैल्शियम की कमी नहीं होगी तो वह स्वस्थ तथा दूध पर बना रहेगा तथा उसका होने वाला बच्चा भी स्वस्थ होगा कई बार कैल्शियम की कमी बच्चे में भी देखी गई है जिससे वह पैदा होने के कुछ समय पश्चात ही चक्कर खाकर गिर जाते हैं और हम समझ नहीं पाते इसके लिए सबसे उत्तम लिक्विड कैल्शियम आदित्य मंगल मिल्क बूस्टर है जो दूध बढ़ाने में तथा कैल्शियम की पूर्ति करने में भी सक्षम है

पशु व्याह कर दूध देना चालू करता है तो उसी समय से उसके कैल्शियम तथा मिनरल्स एंड विटामिंस की कमी होनी शुरू हो जाती है जिसके फलस्वरुप वह दूध की मात्रा दिन-प्रतिदिन घटती रहती है यदि उसे समय पर केल्सियम तथा मिनरल की पूर्ति की जाए तो वह न दूध पर घटेगी और ना ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करेगी अधिक समय तक दूध देगी (एक उदाहरण है जब किसी पशु को किट लगा दी जाती है वह भी दूध कुछ समय अंतराल बाद देने लगता है ).यह स्थिति उत्पन्न ही नहीं हो पाएगी इसके लिए आदित्य मंगल मिल्क बूस्टर जो पूर्ण रुप से एक अच्छे कैल्शियम के रूप में पूर्ति करेगा तथा उसका मिनरल मिक्सर मिलना और विटामिंस की पूर्ति करेगा इसे देने से पूर्व पशु को कीड़ों की दवाई अवश्य देनी चाहिए अन्यथा मिनरल मिक्सर तथा कैल्शियम से पेट में होने वाले कीड़ों को ही फायदा होगा पशुओं को नहीं

*** कैल्शियम की कमी होने से पशु के थन चटक जाते हैं *** कैल्शियम दूध में वसा को बढ़ाता है

जिस पश के थनैला , समय से पूर्व बयाना ,पशु का बच्चा मर जाना या अन्य किसी गंभीर बीमारी के कारण इलाज के उपरांत भी पूर्ण रुप से दूध नहीं दे पाती यह वास्तव में कारगर है

भ्रांतिया कुछ पशुपालक सोचते हैं कि पशु ज्ञापन होने के बाद उसको पोषक तत्व अथवा पौष्टिक आहार की कोई आवश्यकता नहीं सत्य तो यह है कि उसे उस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है क्योंकि उसके गर्भ में एक शिशु और पल रहा होता है वह अपनी और अपने शिशु की उदरपूर्ति के लिए उसे अत्यधिक पौष्टिक आहार और पोषक तत्व की आवश्यकता होती है यदि हम उसे मिनरल और कैल्शियम देते रहेंगे तो उसका पशु का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा तथा उसका होने वाला शिशु भी स्वस्थ होगा तथा पशु जेर भी समय से डालेगा अन्यथा बाद में काफी परेशानी हो जाती है

कई बार देखा जाता है कि कैल्शियम की कमी के कारण पशु ब्याने के बाद खड़ा भी नहीं हो पाता तथा डॉक्टर उसे कैल्शियम की बोतल चढ़ाते हैं यदि वह स्थिति आए ही नहीं तो ही उत्तम है इसके लिए हमें बियाने से पहले उसे कैल्शियम देना चाहिए

कुछ उपभोगता कैल्शियम में मोलभाव को प्राथमिकता देते हैं जबकि सत्य तो यह है कि कैल्शियम में पानी की मात्रा तथा उसमें डालने वाले कंपोनेंट सही मात्रा में होंगे तथा अच्छे होंगे तभी वह कारगर है कई बार देखा जाता है कैल्शियम के ऊपर पानी तैरता रहता है जो कि अच्छे कैल्शियम के लिए उचित नहीं है यह उसकी पहचान है नकली कैल्शियम में पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है अच्छा कैल्शियम हमेशा पानी को अपने अंदर समाहित रखता है

कुछ व्यक्ति कैल्शियम की पूर्ति के लिए पशु को खड़िया मिट्टी खिला देते हैं जोकि बहुत पशुओं के लिए बहुत ही नुकसानदायक तथा कष्टकारी होता है वह पेट में कीड़ों को जन्म देता है मट्टी उसकी आंतों में चिपक जाती है जुगाली में भी नहीं आ पाती जब तक पशु जुगाली में खाद्य पदार्थ नहीं ला पाएगा तब तक वह उसकी आंतो में ही पड़ा रहेगा जिसके कारण उसका गोबर भी सही नहीं कर पाती जिससे उसे उदर संबंधी रोग हो जाते हैं कुछ समय अंतराल बाद उसका स्वास्थ्य खराब हो जाता हैं

कुछ व्यक्ति चूने के पानी को कैल्शियम का स्रोत मानते हैं जो की जो कि आंतों में जख्म तथा लीवर ठप कर देता है अधिक समय तक खिलाने से पशु के पथरी तक बन जाती है

इसके लिए सबसे उत्तम लिक्विड कैल्शियम मंगलम मिल्क बूस्टर है जो दूध बढ़ाने में तथा कैल्शियम की पूर्ति करने में भी सक्षम है इसके अंदर डाले गए सभी कंपोनेंट प्रचुर मात्रा में है इसे एकबार जरूर प्रयोग कर के देखें कृपया जानकारी के लिए ईमेल ID-mangalamcattlefeed@gmail.com पर संपर्क करें

Milk Booster

आदित्य मंगल मिल्क बूस्टर कैल्शियम दूध बढ़ाने वाला यहां उपलब्ध है यह वास्तव में कारागार है यह दूध की बंद कोशिकाओं को खोलता है तथा उन नसों को भी चालू करता है जो दूध बनाती है यह सबसे पहले पशु के शरीर का कैल्शियम मिनिरल और विटामिंस की कमी को पूरा करता है जैसे अनार और चुकंदर खाने से शरीर में खून अधिक बनता है

पशु के गर्भधारण हेतु किन-किन बातों का ध्यान रखें

पशु के गर्भधार.ण करने में आने वाली समस्याओं निम्न बातों का ध्यान देना आवश्यक है

पशु द्वारा डाले जाने वाला तोड़ा पूर्ण रूप से पारदर्शिता एवं साफ और स्वच्छ हो

यदि ऐसा नहीं है पशु किसी कारण से भी गर्भधारण नहीं कर सकता चाहे उसे आप कितनी अच्छी से अच्छी दवाइयां या उपचार कराएं इसका मुख्य कारण है कि पशु के गर्भाशय( बच्चेदानी) में इन्फेक्शन ( संक्रमण -तोड़े में लाली आना) सूजन ,मवाद( पशु के तोड़े में सफेदी आना) होना है इसके लिए आवश्यक है कि पशु का गर्भाशय रोग मुक्त अवश्य हो यदि वह गर्भ धारण कर सकता

इसके लिए पशुु को यूूूबीक्लीनर पहलेेेे दिन 400ml दूसरे 200ml प्रतिदिन दिया जाए जब तक उसका संक्रमण समाप्त न हो जाए

पशु के संक्रमण होने की स्थिति में किन्हीं भी परिस्थितियों में पशु चिकित्सक द्वारा गर्भाशय में हाथ ना डलवाए ऐसा करने से इन्फेक्शन संक्रमण या घाव और अधिक हो सकता है

संक्रमण समाप्त होने पर आप उसे via पाउडर प्रतिदिन 70. ग्राम देते रहे पशु के अंदर यदि अत्यधिक कमजोरी या कहीं बार गर्भधारण करने पर भी यदि गर्भधारण नहीं कर पाई है तब उसे इसे कम से कम 3 से 5 किलो( प्रतिदिन 70 ग्राम) अवश्य खिला देना चाहिए ऐसा करने से पशु के अंदर मिनरल्स विटामिन की पूर्ति तो होगी ही तथा बच्चेदानी का आकार यदि छोटा होगा तो वह भी अपना पूर्ण रूप प्राप्त कर लेगा अंडा न बनने की समस्या खत्म होगी तथा गर्भधारण करने में सक्षम होगा

इस दौरान पशु को दलिया ब्रेड रोटी आटा बारीक राशन ना दें इससे पशु के गर्भधारण करने की क्षमता कम हो जाती है

पशु को सिमेन कुशल डाक्टर या कुशल प्रशिक्षण प्राप्त लोगों से दिलवाना चाहिए। ताकि पशु के गर्भाशय के साथअनावश्यक छेड़छाड़ न हो। नहीं तो पशु मेंडिस्टोकिया नाम की बीमारी हो जाती है और पशु सदा के लिए बांझपन का शिकार हो जाती है।

अन्य जानकारी के लिए संपर्क करें 8445001300 mangalmcattlefeed@gmail.com